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मिर्च भारतीय व्यंजनों का आधार है। तीखी तीखी तीक्ष्णता भोजन में सही स्वाद जोड़ती है। आइए हम भारत भर में उगाई जाने वाली कुछ सबसे लोकप्रिय मिर्चों पर एक नज़र डालें और उनकी खेती के रहस्यों को जानें।
मिर्च: क्षेत्रीय विशेषताएँ
कश्मीरी मिर्च: राजसी कश्मीर घाटी से आने वाली यह मिर्च अपने गहरे लाल रंग और आश्चर्यजनक रूप से हल्के तीखेपन के लिए जानी जाती है।
इन्हें आमतौर पर रोगन जोश और रोस्ट जैसे व्यंजनों में जीवंत रंग देने के लिए मिलाया जाता है। ठंडी हिमालयी जलवायु में अच्छी जल निकासी वाली, रेतीली दोमट मिट्टी में खेती करने से इन मिर्चों को अपना विशिष्ट रंग और मध्यम तीखापन विकसित करने में मदद मिलती है।
गुंटूर सन्नम: आंध्र प्रदेश का गुंटूर जिला इस उग्र सननम का हृदय स्थल है। लाल मिर्चस्कोविल पैमाने (तीखेपन का एक माप) पर अपेक्षाकृत उच्च, गुंटूर मिर्च एक जोरदार झटका देती है।
इन्हें आमतौर पर सुखाया जाता है और पाउडर बनाया जाता है, जो इस क्षेत्र की स्वादिष्ट करी और चटनी का आधार बनता है। ये मिर्चें गर्म, शुष्क जलवायु में बहुत अधिक धूप और अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी में पनपती हैं। किसान अक्सर उन्हें ऊँची क्यारियों में उगाते हैं ताकि जल निकासी के दौरान कोई रुकावट न आए।
बयादगी मिर्च: कर्नाटक की बयादगी मिर्च एक बहुमुखी खिलाड़ी है। इस मध्यम तीखी मिर्च में एक सुंदर गहरा लाल रंग, पतली त्वचा और एक धुएँ जैसी सुगंध होती है।
इन्हें सुखाकर और पाउडर के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। ब्याडागी मिर्च गर्म और शुष्क जलवायु और अच्छी जल निकासी वाली रेतीली मिट्टी को पसंद करती है। नियंत्रित जल आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए ड्रिप सिंचाई तकनीक का उपयोग किया जाता है।
क्षेत्रीय पसंदीदा पर एक नज़र
ज्वाला मिर्च: मुख्य रूप से गुजरात में उगाई जाने वाली ज्वाला मिर्च, जिसे “ज्वालामुखी मिर्च” के नाम से भी जाना जाता है, अपने नाम के अनुरूप है। ये छोटी, हरी मिर्च अविश्वसनीय रूप से तीखी होती हैं और चटनी और अचार में तीखापन जोड़ने के लिए इनका संयम से इस्तेमाल करना सबसे अच्छा होता है। ज्वाला मिर्च गर्म, आर्द्र जलवायु में पनपती है। उपजाऊ मिट्टीइन्हें ट्रेलिस सपोर्ट सिस्टम का उपयोग करके उगाया जाता है, जिससे पौधे लंबवत रूप से बढ़ते हैं और अधिकतम स्थान प्राप्त करते हैं।
भूत जोलोकिया (भूत मिर्च): भारत के पूर्वोत्तर में पाई जाने वाली यह तीखी मिर्च, कभी सबसे तीखी मिर्च का गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड रखती थी। भूत जोलोकिया अपने खूबसूरत नारंगी रंग के लिए जानी जाती है। इस किस्म को आमतौर पर कच्चा नहीं खाया जाता है। इन मिर्चों को गर्म, नम जलवायु और अच्छी जल निकासी वाली, उपजाऊ मिट्टी की आवश्यकता होती है। किसान अक्सर ज्वाला मिर्च जैसी ही तकनीक का उपयोग करके इनकी खेती करते हैं।
कंथारी मुलाकू: केरल का कंथारी मुलाकू एक सच्ची दक्षिण भारतीय विशेषता है, यह छोटा, हरा और अविश्वसनीय रूप से स्वादिष्ट होता है। हालांकि इसमें मध्यम तीखापन होता है, लेकिन इसकी खासियत इसकी अनूठी खट्टी सुगंध है, जो इसे करी और अन्य व्यंजनों में स्वाद जोड़ने के लिए पसंदीदा बनाती है। समुद्री भोजन व्यंजन। ये मिर्च गर्म, नम जलवायु और अच्छी जल निकासी वाली, थोड़ी अम्लीय मिट्टी में पनपती हैं। इनकी खेती उठी हुई क्यारी तकनीक का उपयोग करके की जाती है।
तीखी तीक्ष्णता से लेकर हल्के मसालेदार तक, प्रत्येक मिर्च भारतीय व्यंजनों की जीवंतता में अपना जादू जोड़ती है।
पहली बार प्रकाशित: 03 जुलाई 2024, 01:04 IST
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