जो शॉर्ट्स नहीं हिजाब पहना रहे थे, उनकी बेटियां बॉक्सर: निखत के पंच से लड़के डरते थे, 10 किलो ज्यादा वाले से भिड़ गई

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‘पहले निखत ट्रैक सूट पहनकर ट्रेनिंग करने जाती थी। फिर मैच के लिए उसे रिंग में शॉर्ट्स पहनने पड़े। रिश्तेदार-पड़ोसी सब इसके खिलाफ थे। कहने लगे लड़की ऐसे कपड़े पहनती है, ये सब अच्छा नहीं लगता। हिजाब पहनाने का दबाव भी बनाया। कहते थे, जवान लड़की को बाहर भेजते

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ये कहते हुए ओलंपियन बॉक्सर निखत जरीन के पिता मोहम्मद जमील अहमद की आंखों में संघर्ष और उदासी के बीते दिनों की झलक नजर आने लगती है।

लेकिन ये उदासी देर तक नहीं रहती, जमील की आंखें चमकती हैं और वे आगे कहते हैं, ‘लोग ज्यादा कहने लगे तो मुझे समझ आ गया के निखत का करियर यहां नहीं है। मैं पूरे परिवार के साथ विशाखापट्टनम शिफ्ट हो गया। वहां इसलिए गए क्योंकि निखत को हाईलेवल ट्रेनिंग चाहिए थी। मैं चाहता था वो इतनी बड़ी खिलाड़ी बने कि आज कमियां निकाल रहे लोगों को अक्ल आए और वे भी अपनी बेटियों को निखत की तरह बनाने के सपने देखें।’

50 किलो वेट कैटेगरी में निखत जरीन का मुकाबला रविवार, 28 जुलाई को जर्मनी की मैक्सी केरिना क्लोत्जर से होगा। मैक्सी ने दो बार की वर्ल्ड चैंपियन कजाकिस्तान की अलुआ बाल्किबेकोवा को हराकर ओलिंपिक का कोटा हासिल किया है। अगर निखत मैक्सी को हरा देती हैं, तो उनका अगला मुकाबला एशियन चैंपियन चीन की वू यू से होगा। पढ़िए, निखत के घर और रिंग से ग्राउंड रिपोर्ट…

जो लोग रोक-टोक करते थे, अब बेटियों को निखत जैसा बनाना चाहते हैं
दोपहर करीब 3.45 बजे का समय था। हैदराबाद के खाजागुडा इलाके में बॉक्सर निखत जरीन के पिता मोहम्मद जमील अहमद ईशा की नमाज पढ़कर उठे ही थे। घर में जोर-शोर से निखत के पास पेरिस जाने की तैयारियां चल रही हैं। घर में लोगों की भीड़ है, पड़ोसी हैं और रिश्तेदार भी आए हुए हैं। सभी खुश नजर आ रहे हैं, सभी को भरोसा है कि निखत ये मैच जीतकर ओलिंपिक में आगे जाएंगी। मेडल भी जीतेंगी।

मां परवीन और पिता जमील के साथ निखत जरीन। फोटो- zareennikhat इंस्टा

घर का ड्राइंग रूम निखत के मेडल्स, अर्जुन अवार्ड और जीत की तस्वीरों से सजा हुआ है। जमील खुश होकर हमें अलग-अलग अवॉर्ड जीतने की कहानियां सुनाने लगते हैं। कहते हैं, ‘निखत का भले ये पहला ओलिंपिक है, लेकिन मुझे भरोसा है के वो मेडल जरूर जीतेगी। वो लोग भी निखत के जीतने की दुआएं कर रहे हैं, जो कभी उसके बॉक्सर बनने से खुश नहीं थे।’

जमील याद करते हुए बताते हैं, ‘निखत ने जब बॉक्सिंग शुरू की, तो निजामाबाद में कोई फीमेल बॉक्सर ही नहीं थी। अब निखत को देखकर बहुत सी मुस्लिम लड़कियां बॉक्सिंग सीखने आ रही हैं। जो लोग ताने देते थे वही अब निखत के सपोर्टर बन गए हैं। विरोध करने वाले रिश्तेदार अब अपनी बेटियों को लेकर हमारे पास आते हैं और कहते हैं कि उन्हें भी अपनी बेटी को निखत जैसा बनाना है।’

फोटो 2022 की है, जब निखत ने इंग्लैंड में कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड जीता था।

फोटो 2022 की है, जब निखत ने इंग्लैंड में कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड जीता था।

लड़कियों को कोई कमजोर न समझे, इसलिए निखत ने बॉक्सिंग चुनी
जमील वो कहानी भी सुनाते हैं, जब निखत ने तय किया कि उन्हें बॉक्सर ही बनना है। जमील बताते हैं, ‘मैं भी एथलीट रहा हूं। इसलिए चाहता था कि मेरी एक बच्ची स्पोर्ट्स में जरूर जाए। शुरू में मैं निखत को एथलेटिक्‍स ट्रेनिंग के लिए निजामाबाद के कलेक्‍टर ग्राउंड ले जाता था। एक दिन निखत ने मुझसे पूछा कि बॉक्सिंग में कोई लड़की प्लेयर क्यों नहीं है।’

जमील मुस्कुराते हुए आगे कहते हैं, ‘ मैंने जवाब में निखत को समझाया कि बॉक्सिंग के लिहाज से लड़कियों को शारीरिक रूप से कमजोर समझा जाता है। इसलिए इस खेल में लड़कियां कम हैं। बस फिर क्या था, उसने उसी दिन से मन बना लिया कि वो बॉक्सर बनेगी। उसने मुझसे कहा कि मैं इन सभी लोगों की सोच बदल दूंगी।’

निखत को बॉक्सर बनाने के लिए पिता ने नौकरी छोड़ दी
निखत अपनी बहन अंजुम मीनाज की तरह ही पढ़ाई में होशियार थी। अंजुम अभी डॉक्टर हैं। निखत की बॉडी लैंग्वेज को देखकर पिता जमील ने तय किया कि उन्हें स्पोर्ट्स में ही आगे बढ़ने दिया जाए। निखत को इस मुकाम पर पहुंचने के लिए जमील को अपनी प्राइवेट नौकरी छोड़नी पड़ी।

जमील बताते हैं, ‘मैं पहले विदेशों में सेल्स रिप्रेजेंटेटिव का काम करता था। निखत का करियर बनाना था इसलिए जॉब छोड़ दी और पार्ट टाइम में प्रॉपर्टी डीलिंग का काम करने लगा।’

जमील बताते हैं कि निखत अपनी मेहनत से इस मुकाम पर पहुंची है, वो आज भी कोई प्रैक्टिस सेशन मिस नहीं करती। जमील कहते हैं, ‘हम हर सुबह 4 बजे तक ग्राउंड पर पहुंच जाते हैं, शायद ही कोई दिन ऐसा रहा हो जब हमने प्रैक्टिस को मिस किया हो। स्पोर्ट्स में डिसिप्लिन बहुत मायने रखता है। हमने आज तक कोच को यह मौका नहीं दिया कि वह हमें लेट आने के लिए टोके।’

वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप 2022 में गोल्ड जीतने के बाद निखत PM मोदी से मिली थीं।

वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप 2022 में गोल्ड जीतने के बाद निखत PM मोदी से मिली थीं।

कंधे में इंजरी हुई तो लगा शायद अब नहीं खेल पाएगी…
जमील बताते हैं कि एक ऐसा भी वक्त था, जब लगा कि शायद निखत का बॉक्सिंग करियर खत्म हो गया है। जमील के मुताबिक, ‘2017 में एक कर्व बॉल फेंकने के दौरान उसका कंधा उखड़ गया था। जरीन ऑर्थोडॉक्स स्टांस यानी दाएं हाथ से खेलने वाली वाली बॉक्सर है। उसे सर्जरी कराने के लिए कह दिया गया। पूरा परिवार डर गया था। हमारे लिए सबसे टफ टाइम था। सर्जरी के 9 महीने बाद निखत फिर से बॉक्सिंग रिंग में उतर पाई थी।’

निखत को कंधे में चोट लगी तो परिवार परेशान था, लेकिन निखत ने वापसी की। फोटो- zareennikhat इंस्टा

निखत को कंधे में चोट लगी तो परिवार परेशान था, लेकिन निखत ने वापसी की। फोटो- zareennikhat इंस्टा

इस इंजरी के बारे में खुद निखत ने एक इंटरव्यू में कहा था, ‘मैं परेशान थी क्योंकि कंधा ही एक मुक्केबाज को बनाता या बिगाड़ता है। मुक्केबाज के मुक्कों की ताकत उसके कंधों से आती है। यह मेरे लिए बहुत मुश्किल था क्योंकि पहली बार मुझे इतनी बड़ी चोट लगी थी।’

पहले एक मुस्लिम फीमेल बॉक्सर थीं, अब 100 से ज्यादा हैं
आखिर में जमील अहमद कहते हैं कि बॉक्सिंग ऐसा खेल है, जिसका सालाना खर्च सिर्फ 10 हजार रुपए है। इसमें गरीब लोग भी आ सकते हैं। हालांकि, एथलीट को गेम में बनाए रहना है तो ट्रेनिंग और डाइट बहुत जरूरी है। हम चाहते हैं कि निखत जैसी और लड़कियां इस खेल में आएं और देश का नाम रोशन करें। पहले तेलंगाना की सिर्फ एक मुस्लिम लड़की बॉक्सर थी, निखत के बाद अब 100 से ज्यादा मुस्लिम लड़कियां बॉक्सर हैं।’

जमील के मुताबिक, ‘निखत के करियर में एक बड़ा योगदान स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया का भी रहा है। विशाखापट्टनम जाने के बाद 10 साल से वे हमें लगातार सपोर्ट कर रहे हैं। पूर्व की तेलंगाना सरकार ने हमें ढाई करोड़ और वर्तमान सरकार ने बॉक्सिंग की प्रैक्टिस के लिए 2 करोड़ रुपए की मदद दी है।’

बॉक्सर लवलीना (बाएं) के साथ निखत। लवलीना 31 जुलाई को ओलिंपिक में रिंग में उतरेंगी।

बॉक्सर लवलीना (बाएं) के साथ निखत। लवलीना 31 जुलाई को ओलिंपिक में रिंग में उतरेंगी।

रिंग में फीमेल ही नहीं, मेल बॉक्सर भी निखत के पंच से डरते थे
​​​​​​​निखत के कोच हैं चिरंजीवी। वे सबसे बड़े साइंटिफिक बॉक्सिंग कोच के रूप में फेमस हैं। जमील कहते हैं, ‘उन्होंने ही निखत को चैंपियन मुक्केबाज बनाया। मैं हर सुबह निखत को लेकर उनके पास जाता था और जब तक प्रैक्टिस खत्म नहीं हो जाती थी, मैं उनके घर पर ही रहता था।’

79 साल के एमएन चिरंजीवी पहले एयरफोर्स में थे। वे स्पोर्ट्स अथॉरटी ऑफ इंडिया में नेशनल कोच भी रह चुके हैं। इतनी उम्र हो जाने के बावजूद छोटे बच्चों को घर में बॉक्सिंग की ट्रेनिंग देते हैं। निखत जब भी हैदराबाद आती हैं, उनसे जरूर मिलती हैं।

निखत की कामयाबी पर चिरंजीवी कहते है, ‘निखत मुझसे मिलीं, तब सिर्फ 17 साल की थीं। उसमें देश के लिए मेडल जीतने का जज्बा था। उसका जुनून और हारकर भी आगे बढ़ते रहने की साइकोलॉजी ही उसे दूसरे प्लेयर से अलग बनाती है। मेरे पास आने के बाद निखत ने अपनी तकनीक में बदलाव किए और कई मेडल जीते। वो मेरी कॉम को देखकर कहती थी, जब वे कर सकती हैं तो मैं क्यों नहीं।’

निखत की ट्रेनिंग को लेकर चिरंजीवी बताते हैं, ‘आप फीमेल तो छोड़िए, मेल बॉक्सर भी उसके पंच से डरते हैं। बॉक्सिंग रिंग में मुझे उनके सामने चार-चार प्लेयर खड़े करने पड़ते थे। इसके बावजूद वे चारों पर भारी पड़ती थीं।’

निखत की कामयाबी के बाद हैदराबाद में कई लड़कियां बॉक्सिंग की प्रैक्टिस करने लगी हैं। जिस रिंग में निखत प्रैक्टिस करती थीं, वहां उनके पोस्टर लगे हैं। फोटो- zareennikhat इंस्टा

निखत की कामयाबी के बाद हैदराबाद में कई लड़कियां बॉक्सिंग की प्रैक्टिस करने लगी हैं। जिस रिंग में निखत प्रैक्टिस करती थीं, वहां उनके पोस्टर लगे हैं। फोटो- zareennikhat इंस्टा

अपने से 10 किलो ज्यादा वेट कैटेगरी के प्लेयर से भिड़ जाती थी
कोच चिरंजीवी से मिलने के बाद हम उस बॉक्सिंग रिंग पहुंचे, जहां से ट्रेनिंग कर निखत जरीन इस मुकाम पर पहुंची हैं। ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम द्वारा संचालित इस बॉक्सिंग हॉल में एक तरफ मोहम्मद अली समेत दुनिया के दिग्गज मुक्केबाजों की तस्वीर लगी है, वहीं दूसरी तरफ निखत जरीन के पोस्टर लगे हैं।

रिंग में निखत को प्रैक्टिस करवाने वाले कोच विनेश बाबू बताते हैं, ‘मैं यहां 2002 से बच्चों को बॉक्सिंग सिखा रहा हूं। शायद ही कोई दिन ऐसा रहा हो जब निखत यहां लेट आई हो। वो अपने से 10 किलो ज्यादा वेट कैटेगरी के मेल बॉक्सर के साथ प्रैक्टिस करती थी। निखत से इंस्पायर होकर बहुत सी बच्चियां बॉक्सिंग सीखने आ रही हैं। यहां के बच्चे उन्हें ‘दीदी’ बुलाते हैं। हमें पूरी उम्मीद है कि वे जरूर देश के लिए मेडल जीत कर लाने वाली हैं।’

यहीं हमें निखत के प्रैक्टिस पार्टनर रहे सनी मिले। सनी बताते हैं, ‘ मैंने 4 साल तक निखत के साथ प्रैक्टिस की है। उनकी कंसिस्टेंसी का कोई जवाब नहीं है। बॉक्सिंग में उसका फुटवर्क सबसे अच्छा था और यही उसकी सक्सेस का सबसे बड़ा कारण है।’

सनी मुस्कुराते हुए कहते हैं, ‘मैंने निखत के कई पंच अपने चेहरे पर झेले हैं। उन पंच की स्पीड इतनी होती थी कि लड़के भी उसके साथ प्रैक्टिस करने से डरते थे।’

पेरिस से मेडल लेकर आएंगे…
​​​​​​​निखत के पिता जमील बताते हैं, ‘बॉक्सिंग के अलावा निखत को बॉलीवुड के गाने बहुत पसंद हैं। वो सलमान खान की फैन है। मुंबई गई थी, तब सलमान से मिली थी। सचिन तेंदुलकर और कई दूसरे एक्टर्स से भी मिली थी। ‘द कपिल शर्मा शो’ और ‘कौन बनेगा करोड़पति’ शो में भी हम सब गए थे।’

निखत सलमान खान की फैन हैं। नवंबर 2022 में वे मुंबई गई थीं, तब उन्होंने सलमान खान से मुलाकात की थी।

निखत सलमान खान की फैन हैं। नवंबर 2022 में वे मुंबई गई थीं, तब उन्होंने सलमान खान से मुलाकात की थी।

‘निखत अपनी मां और मेरे दोनों के बेहद करीब है। वे अपनी हर छोटी-बड़ी बात मुझसे शेयर करती है। निखत से हमारी रेगुलर वीडियो कॉल पर बात होती रहती है। उन्होंने हमें पेरिस का खेलगांव दिखाया और वहां के माहौल के बारे में बताया। हम भी जल्द उनके पास जाने वाले हैं। मेडल लेकर वापस आएंगे।’

ओलिंपिक से पहले 5 देशों में ट्रेनिंग की
निखत ने ओलिंपिक की तैयारियां 5 देशों में की है। उन्होंने तुर्की, आयरलैंड, चीन, मोंटेनगिरा और जर्मनी में ट्रेनिंग कैंप किए हैं। उन्हें साल भर फॉरेन कोच दमित्रि दमित्रुक ने ट्रेनिंग दी है।

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