मनिका को मॉडल नहीं मेडलिस्ट बनना था, इसलिए स्पोर्ट्स चुना: मां होमवर्क करतीं ताकि प्रैक्टिस डिस्टर्ब न हो, ‘दंगल’ देखकर डाइट बढ़ा दी

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‘2016 में मनिका साउथ एशियन गेम्स में खेल रही थी। जब उसका आखिरी पॉइंट था, मेरी तो सांसें रुक रही थीं। मनिका जीत गई, तो मैंने टीवी बंद कर दिया और खुशी से रोने लगी। मोनिका ने तीन गोल्ड जीते थे। यकीन करना मुश्किल हो रहा था कि वो इतने ऊंचे लेवल पर खेल रही

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टेबल टेनिस प्लेयर मनिका बत्रा की मां सुषमा बत्रा ये बात कहती हैं, तब उनके चेहरे पर खुशी साफ दिखती है। दिल्ली की मनिका लगातार तीसरा ओलंपिक खेलने के लिए पेरिस में हैं। उनके मुकाबले शुरू हो गए हैं। मनिका ने रविवार को ब्रिटेन की ऐना हर्सी को हराकर राउंड ऑफ 32 में जगह बना ली। जीत का पिछला रिकॉर्ड देखते हुए मनिका मेडल की बड़ी दावेदार हैं।

मनिका की मां फिल्म दंगल से बहुत इंस्पायर थीं। फिल्म देखकर उन्होंने भी बेटी की डाइट में खूब सारे बादाम शामिल कर दिए थे। उन्हें उम्मीद है कि मनिका के साथ उनकी मेहनत का इनाम भी इस बार ओलिंपिक मेडल के तौर पर मिलेगा। पढ़िए मनिका के घर से ग्राउंड रिपोर्ट…

4 साल की उम्र में टेबल टेनिस खेलना शुरू किया, 8वीं में सिल्वर मेडल जीता

मनिका की एक बड़ी बहन और एक भाई हैं। बचपन से ही तीनों को स्पोर्ट्स का शौक है। मनिका की बहन भी टेबल टेनिस खेलती थीं। मनिका की मां सुषमा बत्रा बताती हैं, ‘बड़ी बहन को देखते हुए मनिका की दिलचस्पी भी टेबल टेनिस में बढ़ने लगी। वो 4 साल की उम्र से टेबलटेनिस खेल रही है। शुरुआत दिल्ली में अपने स्कूल से की। बाद में एकेडमी जॉइन कर ली।’

सुषमा बत्रा आगे बताती हैं, ‘मनिका के पिता शौकिया टेबल टेनिस खेला करते थे। मुझे भी स्पोर्ट्स और फिटनेस में रूचि थी। मनिका तीनों बच्चों में सबसे छोटी है। बेटा पढाई में अच्छा था। बड़ी बेटी ऑलराउंडर थी। उन्होंने खेल के बजाय प्रोफेशनल लाइफ चुनी। वे ऑफिस जाते हैं, नौकरी करते हैं। मनिका ने टेबल टेनिस को करियर बना लिया।’

पेरिस ओलिंपिक में 28 जुलाई को अपने पहले मैच के दौरान मनिका बत्रा।

‘हमने देखा कि मनिका टेबल टेनिस को लेकर बहुत सीरियस है, मेहनत कर रही है, तो हम भी उसे इसी खेल में आगे बढ़ाने के लिए मजबूर हो गए। पढ़ाई को दूसरे नंबर पर रखा। मेरी जानकारी में मनिका से पहले महिला टेबल टेनिस में कोई बड़ा भारतीय प्लेयर नहीं था। मेरा एक रूल रहा है, जो भी करो, पूरी शिद्दत से करो। टाइमपास मत करो।’

‘मनिका टूर्नामेंट जीतने लगी, तब लगा कि वो इसमें आगे बढ़ सकती है। कुछ बड़ा कर सकती है। वो छोटी थी, तभी मैंने सोच लिया था कि मनिका टेबल टेनिस में करियर बना सकती है। वो 8वीं में थी, जब उसने चिली ओपन में सिल्वर मेडल जीता था। नेशनल लेवल पर मनिका सीनियर खिलाड़ियों को हराने लगी थी।’

मनिका टेबल टेनिस की प्रैक्टिस करतीं, मां उनका स्कूल का होमवर्क

मनिका के स्कूल के दिनों को याद करते हुए सुषमा बताती हैं, ‘पढ़ाई और स्पोर्ट्स दोनों साथ मैनेज नहीं हो पाते। इसलिए हमने मनिका की मदद की। मैं और मनिका की बहन उसका होमवर्क करते थे। मैं उसके लिए नोट्स बनाती थी। ये साल 2011 की बात है।’

मनिका ने पहला ओलिंपिक 21 साल की उम्र में खेला। 2017 में उनकी रैंकिंग 104 थी। वे इस रैंक तक पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला टेबल टेनिस खिलाड़ी हैं।

सुषमा बताती हैं, ‘2018 में कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान मैं मनिका के साथ ऑस्ट्रेलिया में थी। मनिका को सामने खेलते देखकर बहुत गर्व महसूस हो रहा था। उस मैच में मनिका ने भारत के लिए गोल्ड जीता था। मैं बहुत खुश थी। वहां बैठे सभी लोग मुझे आकर बधाई दे रहे थे।’

सुबह 5 से शाम 6 बजे तक सिर्फ पढ़ाई और टेबल टेनिस

मनिका का रूटीन बहुत सख्त और मुश्किल था। वे सुबह 5 बजे घर से निकल जाती थीं और शाम 6 बजे घर लौटती। सुषमा बताती हैं, ‘मनिका चार साल की थी, तभी से हमने उसे एकेडमी में डाल दिया था। एकेडमी स्कूल में ही थी। वो बिना छुट्टी लिए प्रैक्टिस करती थी। उसकी उम्र कम थी, इसलिए हमें ही सपोर्ट करना पड़ता था।’

‘मनिका सुबह 5 बजे उठकर आधा घंटा फिटनेस ट्रेनिंग करती थी। 7 बजे मैं उसे स्कूल लेकर जाती थी। वो स्कूल के हॉल में प्रैक्टिस करती थी। 9 बजे स्कूल अटेंड करती। मैं दोपहर में उसके लिए खाना स्कूल जाती।’

‘2 बजे स्कूल खत्म होता था। वो कपड़े बदलकर स्कूल में ही प्रैक्टिस करती थी। फिर शाम 6 बजे घर लौटती तो इतनी थकी होती कि डिनर करते ही सो जाती। हां, बोर्ड एग्जाम के वक्त मनिका खेल से छुट्टी ले लेती थी।’

‘मैं दंगल मूवी से बहुत इंस्पायर थी। मूवी में जैसे आमिर खान अपनी बेटी को बादाम और हेवी डाइट देते थे। मुझमे भी जोश आ गया। मैं मनिका के लिए बादाम भिगोकर रखती। उसे दूध बनाकर देती।’

मनिका को 4 साल की उम्र से एकेडमी में प्रैक्टिस कर रही हैं। फोटो- manikabatra.15 इंस्टा

मनिका को 4 साल की उम्र से एकेडमी में प्रैक्टिस कर रही हैं। फोटो- manikabatra.15 इंस्टा

मॉडलिंग के ऑफर आए, लेकिन मनिका ने खेल पर ही फोकस किया

मनिका को फैशन का शौक है। उनकी हाइट और पर्सनालिटी की वजह से उन्हें मॉडलिंग के ऑफर आते रहते हैं। खेल पर फोकस करने की वजह से वे हर ऑफ ठुकरा देती हैं। सुषमा बताती हैं, ‘मनिका का एक ही शौक है, शॉपिंग करना।’

‘उसे कपड़े खरीदना बहुत पसंद है। मनिका की अलमारी कपड़ों से भरी रहती है। उसे हर दिन नई ड्रेस चाहिए। नए फुटवेयर चाहिए। उसे मॉडलिंग के बहुत ऑफर आए, लेकिन वो हमेशा टेबल टेनिस को प्रायोरिटी देना चाहती है।’

सुषमा कहती हैं, ‘मनिका ने टेबल टेनिस की शुरुआत की, तब उसे ऐसे खेल की तरह देखा जाता था, जहां सिर्फ पार्टिसिपेट करना होता था। भारत में पहले टेबल टेनिस को गंभीर खेल नहीं माना जाता था। तब इतनी फैसिलिटी भी नहीं थी।’

‘अब तो SAI, टेबल टेनिस फेडरेशन और सरकार का सपोर्ट है। अब हमारे खिलाड़ी चाइना तक को हरा रहे हैं। मनिका चाहती थीं कि लोग टेबल टेनिस को करियर के तौर पर लें, न कि शौक की तरह।’

टेबल टेनिस के अलावा मनिका का शौक शॉपिंग करना है। फोटो- manikabatra.15 इंस्टा

टेबल टेनिस के अलावा मनिका का शौक शॉपिंग करना है। फोटो- manikabatra.15 इंस्टा

ओलिंपियन नेहा अग्रवाल के साथ कोच ने बनाई रणनीति

कोच संदीप गुप्ता स्कूल के दिनों से मनिका के साथ हैं। 2019 में उन्हें द्रोणाचर्या अवॉर्ड से सम्मानित किया जा गया था। वे दिल्ली के हंस राज मॉडल स्कूल में ‘स्टेज टेबल टेनिस’ नाम से एकेडमी चलाते थे।

संदीप गुप्ता बताते हैं, ‘मनिका मेरे पास आई थी, तब सिर्फ 4 साल की थी। मेरी एकेडमी का पुराना सेंटर हंस राज मॉडल स्कूल में था, जहां मनिका पढ़ाई भी करती थीं। मैंने उसकी बहन को भी ट्रेन किया था। मनिका बहुत डेडिकेटेड खिलाड़ी हैं। छोटी उम्र में भी बिना रुके टेबल टेनिस खेला करती थीं। टेबल टेनिस बहुत फास्ट गेम है। कोई भी बच्चा जल्दी थक जाता है।’

कोचिंग और ट्रेनिंग के बारे में संदीप बताते हैं, ‘स्कूल ने काफी सपोर्ट किया। हम सुबह 7 से 9 बजे तक स्कूल में प्रैक्टिस करते थे। उसके बाद मनिका स्कूल की यूनिफार्म पहनकर क्लास अटेंड करती थीं। स्कूल के बाद दोपहर 2 से 3 बजे तक वो टेबल टेनिस हॉल में ही आराम करती। हम सुबह तीन घंटे और शाम को तीन घंटे प्रैक्टिस करते थे।’

‘हर खिलाड़ी अपने आप में अलग है। उसके हिसाब से ही ट्रेनिंग होती है। फिटनेस, सर्विस और टेक्नीक सिखाई जाती है। हमने इनिशियल स्टेज से ही बहुत हार्ड ट्रेनिंग की है। कोच ने जो उसे बताया, मनिका उसकी घंटों प्रैक्टिस करती थीं।’

‘मनिका ने जूनियर लेवल तक कोई टाइटल नहीं जीता था। यूथ केटेगरी में आने के बाद वो अनबीटन रही है। उसने लगातार तीन बार नेशनल लेवल पर अंडर-21 का खिताब जीता। पहली बार हैदराबाद में नेशनल चैंपियन बनी। भारतीय ओलिंपियन नेहा अग्रवाल ने भी मनिका को काफी कुछ सिखाया। हमने मिलकर मनिका की टेक्नीक पर काम किया। यही वजह है कि वो विश्व के बड़े खिलाड़ियों को हरा पाई।’

‘मनिका रियो ओलिंपिक खेलने गई, तो बहुत निराश होकर लौटी थी। तब वो छोटी थी। हमने प्लेन में लौटते समय फैसला किया था कि उस पर मेहनत करेंगे। वर्ल्ड क्लास खिलाड़ी बनने के लिए जो पैशन चाहिए, हम उसके लिए हर तरह की कोशिश करेंगे।’

‘हमने जापान, कोरिया और यूरोप में ट्रेनिंग की। मैच से पहले मैं उसे यही कहता हूं कि कौन तुम्हारे सामने खेल रहा है, इस पर फोकस मत करो। अपनी स्ट्रेंथ और प्रतिद्वंद्वी की वीकनेस को इस्तेमाल करना आना चाहिए।’

हर मैच से पहले मनिका के कोच उन्हें अपनी स्ट्रेंथ पर फोकस करने को कहते हैं। फोटो- manikabatra.15 इंस्टा

हर मैच से पहले मनिका के कोच उन्हें अपनी स्ट्रेंथ पर फोकस करने को कहते हैं। फोटो- manikabatra.15 इंस्टा

मनिका बत्रा टोक्यो ओलिंपिक में सिंगल्स में राउंड ऑफ 32 में जगह बनाने वाली भारत की पहली महिला टेबल टेनिस खिलाड़ी बनी थीं। हालांकि, वे मेडल नहीं जीत पाईं। पेरिस ओलिंपिक में अपने इवेंट शुरू होने से पहले मनु भाकर ने भी एक इंटरव्यू में कहा, ‘मैंने पिछले ओलिंपिक से बहुत कुछ सीखा है।’

‘मैं उन गलतियों को फिर से नहीं दोहराने जा रही हूं। तब से मेरा माइंडसेट बदल गया है, मैं शांत हूं और मुझे खुद पर ज्यादा भरोसा है। मेरा लक्ष्य पदक के लिए खेलना है, लेकिन मैं धीरे-धीरे आगे बढ़ूंगी। मैं राउंड बाय राउंड खेलूंगी और पदक के बारे में जल्दी नहीं सोचूंगी।’

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